फूलन बनाम बैंडिट क्वीन
सबसे अफसोसनाक यह है कि शारीरिक, मानसिक और यौनिक हिंसा की शिकार बनती औरतों की कहानियां आज भी सिर्फ फ़िल्मों और सियासत के लिए ईंधन ही बन रही हैं; इंसाफ़ के लिए उठती आवाज़ आज भी कोलाहल में गुम ही होती है।
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